इमेज कैप्शन, कहा जाता है कि पगड़ी बदलकर भाई बनाने की रस्म की आड़ में नादिर शाह ने मोहम्मद शाह रंगीला से कोहेनूर हड़प लिया था....में
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किताब में लिखा है कि यहां 'औलिया कराम की इनती क़ब्रें हैं कि उनसे बहार भी जल उठे.'
पहलाः हिंदुस्तान सैन्य लिहाज़ से कमज़ोर था. दूसराः माल और दौलत से भरा हुआ था.
क्या मुग़ल सल्तनत के पतन की सारी ज़िम्मेदारी मोहम्मद शाह पर डाल देना सही है? हमारे ख़्याल से ऐसा नहीं है.
उन्हीं शाह हातिम के शागिर्द मिर्ज़ा रफ़ी सौदा हैं, जिनसे बेहतर क़सीदा निगार उर्दू आज तक पैदा नहीं कर सकी. सौदा के ही समकालीन मीर तक़ी मीर की ग़ज़ल का मुक़ाबला आज तक नहीं मिल सका.
नादिर शाह ने हिंदुस्तान पर हमला क्यों किया शफ़ीक़ुर्रहमान ने अपनी शाहकार तहरीर 'तुज़के नादरी' इसकी कई वजहें बयान की हैं.
उनमें मीर सौज़, क़ायम चांदपुरी, मिर्ज़ा ताबिल और मीर ज़ाहक वग़ैरा शामिल हैं.
उन्होंने कहा, "देशवासियों को जानकारी के लिए बता दें कि हमारे पास दस प्रस्तावक है लेकिन उनकी जानकारी नामांकन फॉर्म मिलने के बाद ,उसे भरकर जमा करवाते समय ही चुनाव आयोग को दी जाती है, लेकिन यहाँ ये जानकारी हमसे फॉर्म देने से पहले ही माँग रहे है, क्यों?
ख़ुद उनका तखल्लुस 'सदा रंगीला' था. इतना लंबा नाम कौन याद रखता, इसलिए जनता ने दोनों को मिलाकर मोहम्मद शाह रंगीला कर दिया और वो आज तक हिंदुस्तान में इसी नाम से जाने जाते हैं.
एक दुनिया ने अपनी पूंजी खपा दी और अनगिनत लोगों ने उस काफ़िर की खातिर सारी दौलत लुटा दी."
अकसर इतिहास के हवालों के मुताबिक उस दिन तीस हज़ार दिल्ली वालों को तलवार के घाट उतार दिया गया. आख़िर मोहम्मद शाह ने अपने प्रधानमंत्री को नादिर शाह के पास भेजा.
उस दौर के मशहूर चित्रकारों में निधा मल और चित्रमन के नाम शामिल हैं जिनके चित्र मुग़लिया चित्रकारी के सुनहरे दौर के कलाकारों के मुक़ाबले पर रखे जा सकते हैं.
इस पर कहीं जाकर नादिर शाह ने तलवार दोबारा here म्यान में डाली तब कहीं जाकर उसके सिपाहियों ने हाथ रोका.